वही मित्र है
- Shreyas Khopkar
- Feb 14, 2019
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जीवन रथ मझधार पडा हो ,
फिर भी संग में कोई खड़ा हो,
डोर नही हो उससे कोई,
फिर भी डोर को बांध चला हो,
समझना तुम कि ‘वही मित्र है’
जीत हार का मोल नही हो,
सुख और दुःख का तोल नही हो,
झुलसती गर्मी के दिन में,
बरगद की वो छाव घनी हो,
समझना तुम कि ‘वही मित्र है’
ह्रदय में जिसके कपट नही हो,
आँखों में जिसके द्वेष नही हो,
मन जिसका हो स्वच्छ निर्मल,
मुख में जिसके हो सीधापन,
समझना तुम की ‘वही मित्र है’
अश्रु को भी जो मोती बना दे,
दुःख में भी जो आनंद फैला दे,
जीवन रूपी कलश को जो,
मधुर पावन अमृत से भर दे,
समझना तुम की ‘वही मित्र है’
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