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निश्छल प्रेम जो होता है

  • Writer: Shreyas Khopkar
    Shreyas Khopkar
  • Mar 22
  • 1 min read


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निश्छल प्रेम जो होता है,

संग उमंग भी लाता है।

न हो कोई स्वार्थ जहाँ,

मन मधुर सुर गाता है।


निर्मल जल सा बहता है,

हर दुख को वो सहता है।

न मंदिर, न मस्जिद माँगे,

सच्चे दिल में रहता है।


शब्दों का मोहताज नहीं,

नजरों से समझ आता है।

निश्छल प्रेम जो होता है,

ईश्वर का रूप कहलाता है।

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