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मेरी मौत

  • Writer: Shreyas Khopkar
    Shreyas Khopkar
  • Dec 13, 2018
  • 1 min read

आज मैंने सपने में अपनी मौत का वो आलम देखा

उस सफेद कफन में लिपटा पड़ा अपना ही बदन देखा

बस जलने ही वाला था अगली कुछ घड़ियों में

भीड़ थी मौजूद लेकिन फिर भी थे कई गुट वहाँ

कुछ थे थोड़े परेशान और कई थे शोकार्थ

जबकि कुछ छुपा रहें थे अपनी कुटिल मुस्कान

वहीं कही था दूर खड़ा मैं यह सब देख रहा

अचानक एक हाथ मुझे थामने आया

उसे देख मैं थोड़ा सा घबराया

उस काया को देख मैं बड़ा ही स्तब्ध था

वो कोई और नही स्वयं मेरा ईष्वर था

जब देखा मैंने उसे तो बोला वो थोड़ा मुस्कुराकर

तूने हर दिन दो पल के लिए किया मुझे याद था

उस बात का कर्ज़ उतारना मेरा ही तो काज था

मन ही मन सोच पड़ा मैं ये बात

दो पल के लिए किया जिसे मैंने याद

वो मुझे बचने आयें हैं

और जिन पर ज़िन्दगी का हर पल वार दिया 

वो मरघट पहुंचाने आयें हैं

अचानक नींद टूटी तो मैं बिस्तर पर विराजमान था

कितना नादान था मैं, एक हकीकत से अनजान था....

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